हेलो दोस्तो फिर से हाजिर हों एक और नई चाणक्य नीति साथ तो चलिए स्टार्ट करते हे।
चाणक्य के अनुशार ज्ञानी मनुष्य संसार से अज्ञानी अंधेरे को दूर कर देते हे।
इसीलिए ज्ञानी मनुष्यो को अपनी संतानों को भी चरित्र निर्माण के कार्यों में लगा देना चाहिए।
उनके गुणों में वृद्धि करने के लिए उचित शिक्षा दीक्षा का प्रबंध करना चाहिए।
इससे उनके अंदर के ज्ञानयुक्त गुण संसार में पूजनीय और आदरणीय हो जाते है।
इस श्लोक के माध्यम से चाणक्य गुणी व्यक्ति प्रसंसा करते होए कहते हे।
की जिस प्रकार किसी धार्मिक स्थल को देखकर हमारे सिर स्रधा से झूक जाते है।वैसे ही।
ठीक उसी प्रकार गुणी व्यक्ति ज्ञान और आस्था का प्रतीक बनकर मनुष्यो के हरदय में स्थान प्राप्त करते है।
चाणक्य के अनुसार मनुष्य हमेशा कुछ न कुछ नया सीखते रहे।
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